परिवर्तन का हुआ
इशारा
शत-शत वंदन सूर्य!
तुम्हारा।
उतरी ज्यों किरणों
की डोली
भरी आस से भू की
झोली
गतिय हो चली जीवन
धारा
शत-शत वंदन सूर्य!
तुम्हारा।
जोश जगाते हो जन-जन
में
होश तुम्हीं से हर
आँगन में
मीठा हो जाता जल
खारा
शत-शत वंदन, सूर्य!
तुम्हारा।
कर्म तुम्हारा चलते
रहना
धर्म तुम्हारा जलते
रहना
तुमसे जीवनमय जग
सारा
शत-शत वंदन, सूर्य!
तुम्हारा।
जब संक्रांति मकर
में होती
पर्व क्रांति हर घर
में होती
तिल-तिल बढ़ता दिन
बंजारा
शत-शत वंदन, सूर्य!
तुम्हारा।
-कल्पना रामानी
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