रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

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कल्पना रामानी

Saturday 14 March 2015

बाकी अभी उजाला है

दिन कहता है करो जतन कुछ
दिनकर ढलने
वाला है।

जीवन को मत जंग लगाओ
बीती भोर नहीं फिर आती
ज्योति-कलश बन, जाएँगे पल   
स बालो मन-बल की बाती

साथ रखो कर्मों की चाबी
अगर भाग्य पर
ताला है।

गम आए यदि गला घोंटने
हिम्मत का दिखलाओ अंकुश  
अगर डराए बदला मौसम
करो धैर्य-शर से अपने वश

बीज निवालों के बो दो
यदि रूठा एक
निवाला है।

जलधि पार मंज़िल है माना  
मगर ज़रूरी हासिल करना     
लहरें आँख दिखाएँ भी तो
आँख मिला उन पर पग धरना

नाव खोल तिरपाल तान
लो, बाकी अभी
उजाला है। 

-कल्पना रामानी    

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--कल्पना रामानी

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