रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

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कल्पना रामानी

Sunday 17 August 2014

भक्ति-भाव का सूर्य उगा फिर

भक्ति-भाव का सूर्य उगा फिर
धर्मों की लाली छाई।
कृष्ण-जन्म का पर्व मनाने
पुनः नई पुरवा आई।

जप अखंड, सुमिरन मोहन का
धरा मुक्ति का धाम हुई।
श्रद्धा में डूबी दिनचर्या
आज कृष्ण के नाम हुई।

मंदिर देव लदे पुष्पों से 
और आरती मन भाई। 
दान-पुण्य के संग श्याम की
महिमा जन-जन ने गाई।

दधि-माखन की टाँग मटकियाँ
हर चौराहे पहुँचा जाम।
सजे धजे गोविंदाओं ने
जीते हँडिया फोड़ इनाम।

गली-गली चल पड़ीं झाँकियाँ 
हुई उमंगित तरुणाई
पूर्ण करे हर मन की आशा
जन्म अष्टमी सुखदाई।

-कल्पना रामानी

  

1 comment:

Unknown said...

बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीय जी हार्दिक शुभकामनाए

पुनः पधारिए


आप अपना अमूल्य समय देकर मेरे ब्लॉग पर आए यह मेरे लिए हर्षकारक है। मेरी रचना पसंद आने पर अगर आप दो शब्द टिप्पणी स्वरूप लिखेंगे तो अपने सद मित्रों को मन से जुड़ा हुआ महसूस करूँगी और आपकी उपस्थिति का आभास हमेशा मुझे ऊर्जावान बनाए रखेगा।

धन्यवाद सहित

--कल्पना रामानी

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