रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

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कल्पना रामानी

Tuesday 1 July 2014

धरती को पैगाम

 
इन्द्र्देव ने भेज दिया है
धरती को पैगाम।
 
बूँदों से है लिखी इबारत।  
बदलेगी जन-जन की किस्मत।  
मानसून इस बार करेगा
सबके मन की पूरी हसरत।  
 
भर चौमासा घन बरसेंगे
झूम झूम अविराम।
 
हरषेगा खेतों में हँसिया।
अन्न बीज रोपेगा हरिया।
उड़ जाएगी निकल नीड़ से
बेबस हो महँगाई चिड़िया।
 
हल बैलों सँग गीत महिया
गाएगा सुखराम।   
 
होंगे व्यस्त घरों के कोने।
बाँटेंगे भर दूध भगोने।
इसकी-उसकी टंगी मथानी
उतरेगी फिर दही बिलोने।
 
तवा तपेली रोज़ तपेंगे
घर-घर सुबहो-शाम।

-कल्पना रामानी

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--कल्पना रामानी

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