रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

मेरे बारे में
कल्पना रामानी

Wednesday 19 November 2014

बेटी तुम


नव प्रभात की सूर्य किरण से
आलोकित घर का निखार हो।
आँगन की मृदु महक माधुरी
बेटी तुम, सबका दुलार हो।
 
ब्रह्मा का उत्कृष्ट सृजन तुम
निर्मल,कोमल,सुंदर तन तुम
कर्म योगिनी,स्वत्व स्वामिनी
स्वजनों की स्नेहिल पुकार हो
बेटी तुम, सबका दुलार हो!
 
खिली खिली खुशरंग हिना तुम 
चंचल, चतुर, चारु-वदना तुम
मृगनयनी, मृदु बयन भाषिणी
मातृ-पितृ मन का मल्हार हो 
बेटी तुम, सबका दुलार हो।
 
सप्त सुरों का साज वृंद तुम
सुगम हास्य का मुक्त छंद तुम
सुर सुबोधिनी, रसित रागिनी
मधुर तान, बजता सितार हो 
बेटी तुम, सबका दुलार हो।
 
मधुबन की मोहक सुगंध तुम
नवरंगों का सुमन कुंज तुम
नव हरीतिमा, नवल पीतिमा
ऋतु बसंत की, नव बहार हो
बेटी तुम, सबका दुलार हो।
 

- कल्पना रामानी

No comments:

पुनः पधारिए


आप अपना अमूल्य समय देकर मेरे ब्लॉग पर आए यह मेरे लिए हर्षकारक है। मेरी रचना पसंद आने पर अगर आप दो शब्द टिप्पणी स्वरूप लिखेंगे तो अपने सद मित्रों को मन से जुड़ा हुआ महसूस करूँगी और आपकी उपस्थिति का आभास हमेशा मुझे ऊर्जावान बनाए रखेगा।

धन्यवाद सहित

--कल्पना रामानी

Followers